| 1. | बाएँ नासिका छिद्र से ही रेचक करें।
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| 2. | क्योंकि नासिका छिद्र से वायु ही बाहर होती है ।
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| 3. | दायें हाथ की दो अंगुलियों से बायें नासिका छिद्र को बंद कर लें।
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| 4. | कभी वह बाएं तो कभी दाएं नासिका छिद्र से सांस लेता और छोड़ता है।
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| 5. | कभी वह बाएँ तो कभी दाएँ नासिका छिद्र से श्वास लेता और छोड़ता है।
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| 6. | इसके बाद बिना शरीर को हिलाए दोनों नासिका छिद्र से आवाज करते हुए श्वास भरें।
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| 7. | अर्थात् श्वास-प्रश्वास की गति जिस नासिका छिद्र से प्रतीत हो, उस समय वही स्वर चलता समझें।
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| 8. | 10 बार पूरक और रेचक करने के बाद, बाएँ नासिका छिद्र से गहरी श्वास लें।
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| 9. | (6) दाहिने नासिका छिद्र को अँगूठे से बन्द कर लीजिए दायाँ खोल दीजिए ।
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| 10. | दाहिने नासिका छिद्र को बन्द कर बाएँ से दस बार जल्दी-जल्दी श्वास लें और छोड़ें।
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